कहानी सुनो
एक कवि की
उसे लगता है
ये शहर है पटना
उसकी हिदायत
इसमे नहीं सटना
पर आज जो किया
इस पटना ने
बम और बारूद पर भी
जो नहीं फिसली,
नहीं भागी बेतहाशा
खून के लोथड़ों से सनी
जख्मी पीठ लिए
मुझे हैरत नहीं
कि वो फिर लिखे
एक कविता
और बदल ले
अपनी सोच
और लिख दे कहीं
छुपकर ही सही
ये शहर है पटना
इसमे सटना
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