मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

पटना



कहानी सुनो
एक कवि की


उसे लगता है
ये शहर है पटना

उसकी हिदायत 
इसमे नहीं सटना

पर आज जो किया
इस पटना ने
बम और बारूद पर भी
जो नहीं फिसली,
नहीं भागी बेतहाशा
खून के लोथड़ों से सनी
जख्मी पीठ लिए


मुझे हैरत नहीं
कि वो फिर लिखे
एक कविता
और बदल ले
अपनी सोच
और लिख दे कहीं
छुपकर ही सही



ये शहर है पटना 
इसमे सटना

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