मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

बाथे पर कुछ कहना है


बाथे नरसंहार पर आज क्यों हो हल्ला है
उन्हे तो जीवित छोड़ देना भी बड़ी सजा है!

तुम्हें तो मिल ही गई दो गज जमीन
पर कुछ मुर्दों को बिन कफन जीना है!

दलितों ने गंवाई थी अपनी मासूम जान केवल
उनके दस्ते ने अपने घरों मे कफन फैलाया है!

तुम शान से मर गए, शहीद कहलाने के लिए
उनके घरों की मासूमियत बिन कफन मुरदा हैं!

दस्ते का दस्तूर खूनी होली कत्ल और दहशत
खुद की बेटियों के अधोअंग भी जख्मी किए हैं!.......मुकेश


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