बाथे नरसंहार पर आज क्यों हो हल्ला है
उन्हे तो जीवित छोड़ देना भी बड़ी सजा है!
तुम्हें तो मिल ही गई दो गज जमीन
पर कुछ मुर्दों को बिन कफन जीना है!
दलितों ने गंवाई थी अपनी मासूम जान केवल
उनके दस्ते ने अपने घरों मे कफन फैलाया है!
तुम शान से मर गए, शहीद कहलाने के लिए
उनके घरों की मासूमियत बिन कफन मुरदा हैं!
दस्ते का दस्तूर खूनी होली कत्ल और दहशत
खुद की बेटियों के अधोअंग भी जख्मी किए हैं!.......मुकेश
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